हमारा समाज के किसी भी भाई या बहन को किसी और तरह की जानकारी की जरुरत हो तो कृपया COMMENT में लिख दे . हम आपके लिए वो STUFF UPLOAD करने की कोशिश करेंगे
हम और समाज
Thursday 16 July 2015
इंसानियत ही पहला धर्म है इंसान का
फिर पन्ना खुलता है गीता और कुरान काभगवान ने भी पता क्या सोच के इंसान को बनाया था। इंसान तो बन गए लेकिन इंसानियत क्या होती है, यह कभी नहीं सीख पाए।
हर दायरा छोटा होता है,इंसानियत के लिए।भगवान बनाता है इंसान को इंसान,इंसानियत के लिए।इंसान होकर भी जो,इंसानियत न कर सके।बोझ होता है धरती पर,वह सबके लिए।
गरीबो की मदद करें उनकी दुआए पता नहीं ज़िंदगी मे किस मोड़ पर आपके काम आएगी
कृपया खुद बदले और समाज को अच्छा बनाये
जय श्री राम जी
Saturday 16 May 2015
एक परिचय हमारा समाज के साथ
समाज अच्छा हो तो चरित्र अच्छा होता है ! हमें सामाजिक होना चाहिए !समाज ने हमे बहुत कुछ दिया ! ऐसी बहुत सी बाते बातें हम प्रायःसुनते ही रहते हैं। हम ऐसा क्यों नहीं सुनते हैं की 'हमने समाज को कुछ दिया या हमने दूषित समाज को अच्छा किया ? इसका कहीं न कहीं कारण यह है की हम समाज की परिभाषा ही नहीं जानते , हमें अछे और बुरे समाज का ज्ञान ही नहीं है । हम यह जानते हैं की समाज कुछ होता है लेकिन हम यह नहीं जानते की यह हमारे जीवन , हमारे चरित्र और फिर हमारे देश पर कैसे और क्या प्रभाव डालता है। वैसे तो हमने और आपने बहुत सी परिभाषाएं पढ़ी होंगी जैसे----
"Society is the manner or condition in which the member of community live together for their mutual benifit"
पर क्या हम किसी भी परिभाषा पर मनन करते हैं? और अगर करते है तो क्या हम उसे अपनी जीवन में उतरते हैं? हम अक्सर इसे दूसरों पर थोप देते हैं ,और कहते हैं कि क्या ये सिर्फ मेरी जेम्मेदारी है? या मैं अकेले क्या कर लूँगा , और या मैं ही अकेले क्यों करूँ? जबकि एक अकेले भी बहुत कुछ कर सकता है । दलाई लामा जी के शब्दों में--
"I truly believe that individuals can make a difference in society.Since periods of changes such as the present one come so rarely in human history,it is up to each of us make the best use of our time to help create a happier world"
हम अपने अनुआइयों को कहेते हैं कि अछे समाज में रहें और और बुरे समाज से दूर रहें ,पर अच्छा समाज और बुरा क्या होता है ये बताना भी तो हमारा कर्त्तव्य होता है।
समाज अच्छा हो तो चरित्र अच्छा होता है ! हमें सामाजिक होना चाहिए !समाज ने हमे बहुत कुछ दिया ! ऐसी बहुत सी बाते बातें हम प्रायःसुनते ही रहते हैं। हम ऐसा क्यों नहीं सुनते हैं की 'हमने समाज को कुछ दिया या हमने दूषित समाज को अच्छा किया ? इसका कहीं न कहीं कारण यह है की हम समाज की परिभाषा ही नहीं जानते , हमें अछे और बुरे समाज का ज्ञान ही नहीं है । हम यह जानते हैं की समाज कुछ होता है लेकिन हम यह नहीं जानते की यह हमारे जीवन , हमारे चरित्र और फिर हमारे देश पर कैसे और क्या प्रभाव डालता है। वैसे तो हमने और आपने बहुत सी परिभाषाएं पढ़ी होंगी जैसे----
"Society is the manner or condition in which the member of community live together for their mutual benifit"
पर क्या हम किसी भी परिभाषा पर मनन करते हैं? और अगर करते है तो क्या हम उसे अपनी जीवन में उतरते हैं? हम अक्सर इसे दूसरों पर थोप देते हैं ,और कहते हैं कि क्या ये सिर्फ मेरी जेम्मेदारी है? या मैं अकेले क्या कर लूँगा , और या मैं ही अकेले क्यों करूँ? जबकि एक अकेले भी बहुत कुछ कर सकता है । दलाई लामा जी के शब्दों में--
"I truly believe that individuals can make a difference in society.Since periods of changes such as the present one come so rarely in human history,it is up to each of us make the best use of our time to help create a happier world"
हम अपने अनुआइयों को कहेते हैं कि अछे समाज में रहें और और बुरे समाज से दूर रहें ,पर अच्छा समाज और बुरा क्या होता है ये बताना भी तो हमारा कर्त्तव्य होता है।
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